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बुधवार, 7 अक्तूबर 2020

`आंध्र प्रदेश में महामण्डल आंदोलन के प्रचार-प्रसार का एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट' (An analytical report on the spread of the Mahamandal movement in Andhra Pradesh)

 `आंध्र प्रदेश में  महामण्डल आंदोलन के प्रचार-प्रसार का एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट' 

[ महामण्डल के लिए आंध्र प्रदेश में 'प्रथम राज्य समन्वयक' (First State Coordinator) श्री के.पी. सुब्बाराया शास्त्री द्वारा प्रदत्त। (A Note given by Sri K.P.Subbaraya Sastry, First State Coordinator of AP for ABVYM)  ] 

      अखिल भारत विवेकानन्द युवा महामण्डल एक अखिल भारतीय संगठन है जिसे, 1967 में  बंगाल में हुए एक कृषक आंदोलन (Agrarian Movement) के बाद पवित्र मूर्तित्रयं (Holy Trio) के आशीर्वाद से एवं रामकृष्ण परम्परा के कुछ वरिष्ठ संन्यासियों के सहयोग से इसके संस्थापक सचिव श्री नवनीहरण मुखोपाध्याय द्वारा  1967 में कोलकाता में स्थापित किया गया था। उस समय यह महसूस किया गया कि स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं को युवा समुदाय तक पहुँचा देने के लिए रामकृष्ण परम्परा के संन्यासियों के अतिरिक्त एक ऐसे संगठन को स्थापित करना आवश्यक है जिसके सदस्य संन्यासी नहीं बल्कि अनुशासित जीवन जीने वाले गृहस्थ हों।  [क्यों? ]

{ क्योंकि RK मिशन के संन्यासी (निवृत्ति मार्गी) लोग जैसे ही युवाओं के बीच - 'मन की  एकाग्रता  (मनः संयोग), विवेक-प्रयोग, चरित्र-निर्माण , जीवन गठन  ' आदि शैक्षणिक विषयों पर चर्चा करना प्रारम्भ करेंगे,  वैसे ही उनके मुण्डित मस्तक और गेरुआ वस्त्र आदि को देखकर, सामान्य (प्रवृत्ति मार्गी) युवाओं के मन में  हमलोगों द्वारा बचपन में सुनी हुई " दो छोटे भाई और गणित ट्यूटर "  की कहानी के समान- पहले से ही कुछ शंकायें उठने लगेंगी !.... उस बालकथा के अनुसार दो छोटे भाइयों को घर पर ही ट्यूशन देने के लिये एक मास्टर-साहेब आये थे। बारामदे में अपने स्थान पर बैठने के बाद  छत की ओर इशारा करते हुए बच्चों से पूछते हैं, " अच्छा , बताओ तो बच्चों बरामदे के छत में कितने बीम हैं, और कितनी सिल्लियाँ लगी हैं ?) एक भाई (दोनों भाई एक ही कक्षा में पढ़ते थे ) अपने दूसरे भाई को कुहनी मारते हुए कहता है- " अरे भैया, कुछ समझ रहे हो ? ये मास्टर साहेब तो हमें गणित सिखायेंगे रे!"
बचपन में यह किस्सा सुना था। उसी प्रकार युवाओं के मन में भी शंका होगी कि, पता नहीं इन लोगों असली उद्देश्य क्या है ? सन्यासियों के पास जाने से ही वे लोग हमलोगों को भी सन्यासी बना देंगे य़ा अन्य कुछ बना देंगे। अतः युवा लोग संन्यासियों द्वारा आयोजित किसी शैक्षणिक कार्यक्रम में सम्मिलित ही नहीं होना चाहेंगे।  इसलिए यह कार्य सन्यासियों के माध्यम से नहीं हो सकता है। संन्यासी नहीं, बल्कि गृही-संसारी होकर भी देशभक्त तथा अनुशासित जीवन जीने वाले  कुछ चुने हुए युवा  यदि सामने आयें,  और इस कार्य को करने का बीड़ा स्वयं उठा लें- तब उसका कुछ फल हो सकता है। यही है इस युवा-संगठन के आविर्भूत होने की पृष्ठभूमि !  } 

अखिल भारत विवेकानन्द युवा महामण्डल का उद्देश्य और कार्यक्रम :  संक्षेप में कहें तो (ABVYM) महामण्डल का मुख्य उद्देश्य स्वामी विवेकानन्द के आदर्शों के अनुसार चरित्रवान मनुष्यों 'Men of Character'  का निर्माण करते हुए 'Nation building' याने  राष्ट्र-निर्माण करके  नये भारत का निर्माण करना, अथवा भारत का कल्याण करना है। तथा महामण्डल की कार्यपद्धति युवाओं, विशेषकर छात्रों (भावी नेताओं) और शिक्षकों (students and teachers/Leaders) के लिये विवेकानन्द की शिक्षाओं पर साप्ताहिक पाठ चक्र (weekly study circle) का आयोजन करना। एवं  निर्धारित अवधि के पश्चात् बार-बार युवा प्रशिक्षण शिविर (Youth Training Camp) का आयोजन करते रहना है।  

       1967 के नक्सलबाड़ी किसान आंदोलन के बाद पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थापित हुआ महामण्डल इसी प्रकार धीरे-धीरे सम्पूर्ण भारत में फैलने लगा और अपनी संस्थापना के केवल 4 वर्ष बाद 1971 में आंध्र प्रदेश तक पहुँच गया । आंध्र प्रदेश में महामण्डल ने अभी अपने अस्तित्व के 50 वर्ष पूरे कर लिये हैं। इसलिये आंध्र प्रदेश राज्य में  इन पचास वर्षों में युवा महामंडल आंदोलन ( Yuva Mahamandal Movement ) के प्रचार-प्रसार की गतिविधियों का लेखा-जोखा संजो कर रखने के लिये यह कार्यविवरण प्रस्तुत किया जा रहा है। (जबकि 1988 में अपनी संस्थापना के 21 वर्ष बाद बिहार-झारखण्ड में महामण्डल  पहुँचा।) 

आंध्र प्रदेश में अखिल भारत विवेकानन्द युवा महामण्डल की पहली इकाई (The first unit of Vivekananda Yuva Mahamandal in Andhra Pradesh) :     आंध्र प्रदेश में विवेकानन्द युवा महामण्डल की पहली इकाई को  गुंटूर जिले के बापटला (Bapatla) में  स्थापित किया गया और आधिकारिक रूप से  उसका उद्घाटन 24 जनवरी 1971 को हुआ था ।  इस प्रकार जनवरी 2021 में विवेकानन्द युवा महामण्डल आन्दोलन आंध्र प्रदेश में, अपने अस्तित्व के पचास साल की अवधि को पूर्ण कर लेगा । 

  बापटला (गुंटूर , आंध्र प्रदेश ) में महामण्डल की प्रथम इकाई की स्थापना के बाद , महामण्डल आन्दोलन की विभिन्न गतिविधयां, यथा - 'साप्ताहिक पाठचक्र',   'स्थानीय युवा प्रतशिक्षण शिविर', 'राज्य स्तरीय शिविर', ' संगठनकर्ताओं की गोष्ठी ' (Organizers Meetings) आदि  का आयोजन राज्य के विभिन्न स्थानों पर होने लगीं । जिसके फलस्वरूप अलग अलग स्थानों पर महामण्डल आंदोलन के नई -नई  इकाइयों की स्थापना होने लगी। पाठकों की जानकारी के लिए, उन महामण्डल केन्द्रों की यूनिट वार रूप से चर्चा इस विवरण के (अनुबंध - I) में  की गयी है। पूरे आंध्र प्रदेश में विवेकानन्द युवा महामण्डल आंदोलन को संचालित करने के लिए लगभग 27 इकाइयाँ स्थापित हुई थीं; लेकिन उचित निगरानी (Proper Monitoring) के अभाव में 1 सितंबर 2020 तक कार्यशील इकाइयाँ केवल 5 हैं। 

विवेकानन्द युवा  महामण्डल  के  संस्थापक सचिव श्री नवनीहरण मुखोपाध्याय के अथक परिश्रम और प्रेम से तैयार किया गया यह '  आध्यात्मिक आंदोलन ' समय समय पर प्राप्त होने वाले  उनके प्रेरक नेतृत्व  से  मार्गदर्शित और अनुप्रेरित होकर दारसी, आंध्र प्रदेश  के प्रथम राज्य समन्वयक श्री के.पी. सुब्बाराया शास्त्री,  नेल्लोर, आंध्र प्रदेश के द्वितीय राज्य समन्वयक (Second Coordinator)  श्री तुरलापति लक्ष्मीनारायण राव, विजयवाड़ा के श्री ए. दुर्गा प्रसाद और विशाखापत्तनम के श्री एन.लक्ष्मीनारायण, [और श्री पी. मुनिस्वामी ] आदि युवा महामंडल आंदोलन को आगे बढ़ाने में सहयोगी बने ।

आचार्य एन.जी. रंगा कृषि विश्वविद्यालय (ANGRAU)  के सेवानिवृत्त प्रोफेसर श्री बी.एस.आर. अंजनेयुलु तथा डॉ० पी. श्यामसुंदरा मूर्ति ने महामण्डल आंदोलन को आगे बढ़ाने में हर प्रकार से अपना सहयोग प्रदान किया। तथा आंध्र प्रदेश में युवा महामण्डल के विभिन्न कार्यक्रमों के संचालन में मुख्य मार्गदर्शक एवं प्रेरणाश्रोत बने रहे। इन दोनों ने महामण्डल की कई अंग्रेजी पुस्तिकाओं का तेलुगु भाषा में अनुवाद किया है, जिनका लोकार्पण महामण्डल के वार्षिक युवा प्रशिक्षण शिविर में तथा ' आंध्र  प्रदेश भाव प्रचार परिषद'  द्वारा आयोजित " वार्षिक भक्त -सम्मेलन  " (Bhava Prachara Parishad  Bhakta Sammelan meetings) के  दौरान भी किया जाता रहा है। इसके अतिरिक्त आंध्र  प्रदेश में युवा महामंडल इकाइयों द्वारा अलग-अलग स्थानों पर आयोजित होने वाले युवा प्रशिक्षण शिविरों में डॉ० पी. श्यामसुंदरा मूर्ति द्वारा कुशल मॉडरेटर (moderator)  के रूप में जो  सक्रिय भागीदारी निभाई जाती है वह भी उल्लेखनीय है। 

     श्री रामकृष्ण -विवेकानन्द वेदान्त परम्परा ( Ramakrishna Order) के संन्यासी गण , विशेष रूप से पूज्य स्वामी स्मरणानन्द  जी (वर्तमान अध्यक्ष, रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन, बेलूर), पूज्य स्वामी रंगनाथानन्द (रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के 13 वें अध्यक्ष) तथा आंध्र प्रदेश के  " सेवा समिति केन्द्रों" ( Seva Samithi centers in Andhra Pradesh ) में कार्यरत ऐसे  अन्य कई संन्यासी हैं, जो युवा महामंडल आंदोलन के साथ भी जुड़े रहते  हैं , और  युवा महामंडल आंदोलन को प्रोत्साहित करते रहते है। आंध्र प्रदेश के किसी भी स्थान पर महामण्डल के नए केन्द्र को गठित करने के लिए वहाँ के 'श्री रामकृष्ण सेवा समिति ' द्वारा दिया गया समर्थन भी महत्वपूर्ण है। इसलिए अधिकांश स्थानों में 'श्री रामकृष्ण सेवा समिति' के   परिसर का उपयोग महामण्डल इकाई की सभी गतिविधियों के लिए किया जाता है , साथ ही उनलोगों से नैतिक और वित्तीय सहायता भी प्राप्त होती है। महामण्डल की विशाखापत्तनम इकाई सौभाग्यशाली है कि उन्हें  श्री रामकृष्ण मिशन आश्रम, विशाखापत्तनम से हर प्रकार समर्थन प्राप्त होता रहता है। क्योंकि यह इकाई भी उसी स्थान के निकट स्थित है। किन्तु विशाखापत्तनम युवा महामण्डल अपनी गतिविधियों को संचालित करने के लिए आश्रम के परिसर का उपयोग नहीं करता। श्री एन.लक्ष्मीनारायण के गतिशील नेतृत्व एवं विशाखापत्तनम इकाई के समर्पित और प्रशिक्षित सदस्यों के सहयोग से विशाखापत्तनम इकाई ने अपना परिसर स्वयं विकसित कर लिया गया है।  

    युवा महामंडल आंदोलन की वह यात्रा जो 1971 में आंध्र प्रदेश राज्य में  शुरू हुई थी, विगत  पचास वर्षों में कई उतार-चढ़ावों के बावजूद अभी भी क्यों जारी है ? उसके कारणों का यदि विश्लेषण किया जाये तो यह स्पष्ट हो जाता है कि,  महामंडल के उद्देश्य और कार्यक्रमों को आंध्र प्रदेश राज्य के युवाओं के द्वारा स्वीकार कर लिया गया है।  आंध्र प्रदेश में क्रियाशील  महामण्डल के प्रत्येक केन्द्र का मुख्य कार्य , विवेक- जीवन और महामंडल की पुस्तिकाओं में दी हुई स्वामी विवेकानन्द और महामण्डल आंदोलन की विचारधारा के अनुरूप साप्ताहिक पाठचक्र आयोजित करना है। इसके अतिरिक्त  युवा प्रशिक्षण शिविर, रक्तदान शिविर, नि: शुल्क कोचिंग कक्षाएं, प्राकृतिक आपदाओं के पीड़ित लोगों के लिए राहत कार्य, चिकित्सा शिविर, विवेकानंद और महामंडल साहित्य की बिक्री आदि कार्य-कलाप इसकी अन्य गतिविधियों में शामिल हैं। कुछ केन्द्रों के द्वारा महामण्डल की अंग्रेजी पुस्तिकाओं को तेलुगु में प्रकाशित करने के अलावा 'विवेक-मार्गमु' (Viveka Margamu), 'विवेक-भारती'(Viveka Bharathi), विवेक-ज्योति '(Viveka Jyothi)  शीर्षक मासिक पत्रिकाओं का प्रकाशन भी किया है। 1971 में बापटला इकाई के द्वारा  प्रारम्भ की गयी  साइक्लोस्टाइल पत्रिका 'विवेक-मार्गमु' ने इस आंदोलन को अन्य स्थानों तक पहुंचाने में 1976 तक बहुत सहायता की है। 

  आंध्र प्रदेश में युवा महामंडल (आध्यात्मिक) आंदोलन का सूत्रपात श्री नवनीहरण मुखोपाध्याय के कन्याकुमारी (तथा आचार्य शंकर के गाँव  कालडी ) की यात्रा के दौरान  9 सितंबर 1970 को उनके बापटला (गुंटूर) पधारने के साथ हुआ था।  बापटला में श्री रामकृष्ण सेवा समिति के संस्थापक श्री बी आर आर.अंजनेयुलु के अनुरोध पर - श्री नवनीहरण मुखोपाध्याय ने 'बापटला' (गुंटूर , आंध्रप्रदेश) का दौरा किया था । तत्पश्चात (दिवंगत ?-परिव्राजक ?) श्री नवनीहरण मुखोपाध्याय ने आंध्र प्रदेश में विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया और समय-समय पर स्थानीय शिविरों और राज्य स्तरीय शिविरों में उनकी अनुप्रेरक उपस्थिति ने धीरे-धीरे युवाओं को विभिन्न स्थानों में इकाइयां शुरू करने के लिए उत्साहित किया। इसके अलावा आंध्र प्रदेश के विभिन्न स्थानों के युवाओं ने लगभग हर साल महामण्डल द्वारा आयोजित वार्षिक युवा प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया, जिससे नई इकाइयों की स्थापना करने में सहायता मिली। महामण्डल की मासिक पत्रिका “ Vivek Jivan ” तथा अन्य महामण्डल की पुस्तिकाओं ने भी महामण्डल आंदोलन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान किया है।  

विगत 50 वर्षों के दौरान आंध्र प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर महामण्डल द्वारा आयोजित युवा प्रशिक्षण शिविर की तालिका एक नजर में देखने के लिए तिथिवार ढंग से दी जा रही है - 

  • 1970 -बापटला श्री रामकृष्ण सेवा समिति के संस्थापक श्री बी आर. आर.अंजनेयुलु के अनुरोध पर, महामण्डल  के संस्थापक सचिव , [ ছন্ন ছাড়া গোষ্ঠীর  প্রথম পুরোধা, छन्न-छाड़ा गोष्ठी याने  (आहार-निद्रा-भय मैथुन में रत) साधारण गृही समाज से ख़ारिज लोगों के समूह के प्रथम नेता 'The first leader of the Householders Dropouts group '] श्री नवनीहरण मुखोपाध्याय ने  आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में अवस्थित बापटला की धरती पर पहली बार अपने चरण रखे। 
  • 1971 -आंध्र प्रदेश में अखिल भारत विवेकानन्द युवा महामण्डल के प्रथम इकाई का गठन बापटला  में 24-01-1971 को हुआ था।  
  • 1972 -  आंध्र प्रदेश में महामण्डल के प्रथम क्षेत्रीय युवा प्रशिक्षण शिविर ( 3 days First Regional Youth Training Camp) का आयोजन  30-01-1972 को श्री बी आर आर.अंजनेयुलु के नेतृत्व में बापटला में  किया गया था।   
  • 1974 - श्री नवनीहरण मुखोपाध्याय ने जब 11-09-1974 को दूसरी बार आंध्र प्रदेश की धरती पर कदम रखे तब बापटला के बाद महामण्डल की दूसरी इकाई विजयवाड़ा में गठित हुई। और ( Vijayawada Second unit) के बाद महामण्डल के तीसरी इकाई चिराला की स्थापना भी (Chirala Third Unit)  11-09-1974 को ही हो गयी।
  • 1975 - तीन दिनों का दूसरा क्षेत्रीय युवा प्रशिक्षण शिविर (3 days Second Regional Youth Training Camp) का आयोजन 10 से 12 जनवरी 1975 तक चिराला (जिला ?) में किया गया था।
  • 1978 -  रेंटाचिनथला यूनिट (Rentachinthala Unit ) का गठन 14-10-1978 को किया गया, विनुकोंडा यूनिट (Vinukonda Unit)  का गठन भी 1978 में ही हुआ।
  • 1979 - श्री नवनीहरण मुखोपाध्याय की तीसरी बार आंध्र प्रदेश यात्रा अक्टूबर 1979 में हुई तब दादा ने बापटला , गुंटूर और विजयवाड़ा का दौरा किया। जिसके फलस्वरूप गुंटूर यूनिट (Guntur Unit) का गठन हुआ। तथा विजयवाड़ा (Vijayawada) इकाई भी October 1979 में स्थापित हुई।
  • 1981 -श्री नवनीहरन मुखोपाध्याय ने चौथी बार 1981 में बापटला, विजयवाड़ा और विनुकोंडा का दौरा  किया था।
  • 1982 - जिसके फलस्वरूप 11-09-82 को आंध्र प्रदेश के डार्सी इकाई (Darsi Unit) का गठन हुआ। तथा नेल्लोर यूनिट (Nellore Unit ) का गठन 07-09-82 को हुआ।  
  • 1983 -  आंध्र प्रदेश के गुंटूर में प्रथम राज्य स्तरीय युवा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन (Guntur First State Camp from) 30 अक्टूबर से 1 नवंबर 1983 तक किया गया । रामुदुपलेम यूनिट (Ramudupalem Unit) का गठन अप्रैल 83 में हुआ। थांडुरु यूनिट (Thundurru Unit )  दिसंबर 83 में स्थापित की गयी।  
  • 1984 -श्री नवनीहरन मुखोपाध्याय ने पाँचवी बार 1981 में आंध्र प्रदेश की यात्रा की (Visit of Sri Nabaniharan Mukhopadhyay)  , इस दौरान उन्होंने तिरुपति बालाजी ,अमरावती, बापटला, विजयवाड़ा , नेल्लोर, चिलाकालूरीपेट आदि प्रमुख स्थानों का दौरा किया। जिसके फलस्वरूप 04-03-1984 को अमरावती यूनिट (Amaravathi Unit) का गठन को हुआ।  चिल्लायुरीपेट यूनिट ( Chilakaluripet Unit) का गठन 01-07-84 को हुआ। चिन्ना ओगीराला यूनिट (Chinna Ogirala Unit) का गठन अगस्त में 84 / नेलाकोंडा पल्ली यूनिट (Nelakonda palli Unit ) का गठन अगस्त 84 में हुआ। / पुनरू यूनिट (Punuru Unit)  का गठन सितंबर 84 में हुआ। तिरुपति यूनिट (Thirupathi Unit ) का गठन 11-09-84 को हुआ।
  • 1985 - 9 से 11 अगस्त 1985 तक विजयवाड़ा राज्य शिविर ( Vijayawada State Camp। कोठागुडेम इकाई (Kothagudem Unit) का गठन 26-03-85 को हुआ।
  • 1987 - नायडुपेट यूनिट का गठन 11-09-87 को हुआ।
  • 1988 - चित्तूर इकाई (Chittoor Unit) का गठन 11-09-88 को हुआ। इंकोलू यूनिट (Inkollu Unit) जून 88 में गठित हुआ। विशाखापत्तनम इकाई का गठन 06-11-88 को हुआ। [प्रथम कार्यकारिणी का PR and Secretary कौन था ?]
  •  1990 - पकाला यूनिट (Pakala Unit) का गठन जनवरी 1990 में हुआ।
  • 2006 - विशाखापत्तनम यूनिट का पहला क्षेत्रीय युवा शिविर 10-09-2006 को।
  • 2013 -विसाखापटनम में दक्षिण भारत त्रिदिवसीय शिविर का आयोजन 29 नवंबर से 1 दिसंबर 2013 तक किया गया ।
  • 2018 -विशाखापत्तनम में 7 से 9 सितंबर 2018 तक  6 वें अंतर राज्य युवा शिविर का आयोजन किया गया । (Visakhapatnam 6th Inter State Youth camp from 7th to 9th September 2018.)
  • 2019 -  श्रीकाकुलम यूनिट ( Srikakulam Unit) का गठन 22-09-2019 को किया गया । और  अमुदलवलासा यूनिट (Amudalavalasa Unit ) का गठन 25-09-2019 को किया गया।
  • 2020 - मंगावरम यूनिट ( Mangavaram Unit) 12-01-2020 को गठित हुई।  

श्री के.पी. सुब्बाराया शास्त्री 1972 में बापटला से स्थानांतरित हो चुके थे ,फिर भी   1976  तक उन्होंने आंध्र प्रदेश में इकाइयों को प्रेरित करने / मार्गदर्शन / समन्वय करने की जिम्मेदारी संभाली हुई थी ।सरकारी नौकरी और पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए उन्होंने बापटला और अन्य स्थानों पर बार-बार जाकर, या पत्र लिखकर, प्रेरणा और मार्गदर्शन देने तथा आंध्र प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर इकाइयाँ बनाने में मदद की।

1978 के अंत तक आंध्र प्रदेश में युवा महामंडल आंदोलन सक्रीय रूप से चलता रहा, और अपनी पाँच इकाइयों के सहयोग से एक क्षेत्रीय शिविर का आयोजन बापटला में किया गया और दूसरे  क्षेत्रीय शिविर का आयोजन चिराला में किया गया। इन दोनों क्षेत्रीय युवा प्रशिक्षण शिविरों में श्री नवनीहरण मुखोपाध्याय शामिल हुए थे। 

          उसके बाद कुछ समय के लिये यह आंदोलन आन्ध्र प्रदेश में सुस्त पड़ गया। तब इस मंद पड़ रहे आध्यात्मिक युवा आंदोलन को पुनर्जीवित करने का उत्तरदायित्व श्री के.पी. सुब्बाराया शास्त्री तथा श्री  श्री टी. लक्ष्मीनारायण राव ने मिलकर उठाया तथा श्री नवनीहरण मुखोपाध्याय की परामर्श के अनुसार  एक ABVYM राज्य समन्वय समिति का गठन किया, और साथ ही आंध्र प्रदेश के सभी स्थानों का दौरा करने के लिए श्री नवनीहरण मुखोपाध्याय को तीन बार आमंत्रित किया। महामण्डल के इस आंध्र राज्य समन्वयक समिति ने प्रत्येक इकाई के रोटेशन से प्रत्येक तिमाही में,  स्थानीय स्तर पर आधे दिन के शिविर के साथ आयोजकों की गोष्ठी (organizers meeting) का आयोजन किया, जिसके परिणाम स्वरुप सुस्त पड़ी सभी इकाइयों में फिर से  उत्साह का संचार हो गया ।

इस प्रक्रिया में अखिल भारत विवेकानंद युवा महामंडल के उद्देश्य और क्रियाकलापों के ऊपर एक तेलुगु में एक हैंडआउट (निवेदन पत्र) छपवा कर आंध्र प्रदेश के सभी महामण्डल इकाईओं तथा आंध्र प्रदेश में सेवा समिति केंद्रों को वितरित किया गया। इसके छपाई आदि का सारा खर्च महामण्डल के कोलकाता City Office ने वहन किया।  ABVYM केदो अन्य अंग्रेजी पुस्तिकाओं का समन्वय समिति के द्वारा  तेलुगु में अनुवाद किया गया , और प्रकाशित किया गया है। तेलुगु में महामण्डल पुस्तिकाओं का प्रकाशन भी-सिटी ऑफिस एबीवीवाईएम, कोलकाता द्वारा ही वित्त पोषित हुए ।   

             महामण्डल के आंध्र प्रदेश राज्य समन्वय समिति (AP State Coordination Committee for ABVYM) के द्वारा 1988 से  विवेक भारती ( "VIVEKA BHARATHI") नामक महामण्डल का तेलुगु में त्रैमासिक बुलेटिन (quarterly bulletin in Telugu ) प्रकाशित होता आ रहा है। तेलुगु प्रकाशन के कार्य को श्री टी. लक्ष्मीनारायण राव (जो उस समय स्टेट कोऑर्डिनेटर थे) ने 1995 तक देखभाल किया था। यद्यपि इसके प्रकाशन में कुछ समय के लिए अंतराल भी आया किन्तु आंध्र प्रदेश राज्य समन्वयक के रूप में श्री टी. लक्ष्मीनारायण राव द्वारा 1997 तक समन्वय कार्य जारी रहा, जो त्रैमासिक बुलेटिन "विवेका भारती" में समाचारों से स्पष्ट है।  

        गुंटूर में पहला राज्य स्तरीय शिविर सफलतापूर्वक 1983 में आयोजित किया गया, जिसने आगे चलकर कुछ और नई इकाइयों को गठित करने में मदद की और साथ ही मौजूदा इकाइयों को भी सक्रिय बना  किया। 1985 में विजयवाड़ा में दूसरा राज्य शिविर आयोजित किया गया, जिसने आंदोलन को और आगे ले जाने में मदद की।

1987 के जनवरी में ओंगोले (Ongole) में एक " ग्रामीण युवा प्रशिक्षण शिविर"  ( Rural Youth training Camp ) का आयोजन किया गया है जिसमें आंध्र प्रदेश में युवा महामंडल के सभी सक्रिय कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस शिविर को आंध्र प्रदेश में महामण्डल के राज्य समन्वय समिति के अध्यक्ष श्री के.पी. सुब्बाराया शास्त्री (President of AP State Coordination Committee for ABVYM) के द्वारा श्री रामकृष्ण सेवा केन्द्रम के समन्वय से आयोजित किया गया , जो उन दिनों ओंगोले (Ongole) के `श्री रामकृष्ण सेवा केन्द्रम ' [Sri Ramakrishna Seva Kendram (?=RK मिशन आश्रम ?)] के सचिव भी थे। इस शिविर ने आंध्र प्रदेश के सभी युवा महामण्डल इकाईओं में फिर से नए ऊर्जा का संचार कर दिया।   

         यद्यपि 16 अक्टूबर 1988 को आयोजित आयोजकों की बैठक ( organizers meeting ) में लिए गए निर्णय के अनुसार फरवरी 1989 में नायडूपेट ( Naidupet ) में एक राज्य शिविर आयोजित करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन विभिन्न कारणों से उस योजना को कार्यरूप देना सम्भव नहीं हो सका। और 2013 तक आंध्र प्रदेश में आंदोलन इतना मंद हो गया कि एक  भी राज्य युवा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन नहीं हो सका।  क्योंकि  किसी भी इकाई ने इस संबंध में रुचि नहीं ली। हालाँकि उपलब्ध जानकारी के अनुसार 1992 तक  प्रत्येक इकाई में हर आधे या पूरे दिन के लिए एक या दो स्थानीय युवा शिविर आयोजित किए गए थे।   

              2006 में विशाखापत्तनम यूनिट ने  एक दिवसीय क्षेत्रीय युवा प्रशिक्षण शिविर (One day Regional Youth Training Camp) का आयोजन किया और तब से " gained strength to conduct a local youth camp or convention every year " हर साल एक स्थानीय युवा शिविर या सम्मेलन आयोजित करने की शक्ति प्राप्त की।   

            विवेकानन्द युवा महामण्डल के किसी भी शाखा में मुख्य रूप से छात्र और शिक्षक ही इसके मुख्य सदस्य हुआ करते हैं , या अधिकांशतः नौकरी पेशा लोग ही इसके सदस्य बनते हैं। और ये तीनों श्रेणी के लोग एक ही स्थान पर बहुत लम्बे समय तक कार्यरत नहीं रह पाते , जिसके कारण गतिशील इकाई की गतिविधियाँ भी प्रभावित हो जाती हैं। जिसके फलस्वरूप आंध्र प्रदेश के कई इकाइयाँ आगे चलकर निष्क्रिय इकाई (defunct institution) में परिणत हो गयीं हैं। यह पाया गया है कि महामण्डल की कुछ गतिशील इकाईयों (dynamic units) के निष्क्रिय इकाई (defunct institution) में परिणत होने के पीछे उस स्थान में कार्यरत Ramakrishna Seva Samithi centers' श्री रामकृष्ण सेवा समिति' (RK मिशन, या भाव प्रचार प्ररिषद ? ) के केंद्र महामण्डल के युवाओं को अपने पसंदीदा  कार्यों (भक्त-भक्तिन सम्मेलन ) में इतना अधिक प्रयोग करने लगते हैं कि युवा महामण्डल की इकाइयाँ ( Yuva Mahamandal units could not continue as separate entities.) अलग-अलग संस्थाओं के रूप में अपना अस्तित्व बनाये नहीं रख पाती हैं। 

[ 50 साल के अनुभव से यह देखा जा रहा है कि जिस इकाई के सदस्य थोड़ी  संख्या में भी, कृषि पर निर्भर, या छोटे-मोटे उद्योग -धंधे पर निर्भर व्यक्ति सदस्य हैं, या कोई उद्योगपति या स्वतंत्र रूप से व्यापार करने वाले बिजनेसमैन ,  डॉक्टर या वकील पेशा के लोग इसके सदस्य बनते हैं, वह इकाई अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी ढंग से अपनी गतिविधियाँ लगातार संचालित करने में सक्षम होते हैं। अतः भविष्य में महामण्डल को ऐसी व्यवस्था करनी होगी जिससे व्यापारी , डॉक्टर , वकील आदि श्रेणी के लोगों तक " सत्य -प्रकाश " (श्री रामकृष्ण ज्योति) को और अधिक मात्रा में पहुँचा देने की गतिविधियाँ (नेतृत्व-प्रशिक्षण शिविर) आयोजित की जाती रहें।" ] 

       एपी राज्य समन्वय समिति (AP State coordination Committee) को 1996 में भंग कर दिया गया था। इसके बावजूद श्री के.पी. सुब्बाराया शास्त्री और श्री टी.लक्ष्मीनारायण राव ( Sri K.P. Subbaraya Sastry and Sri T.Lakshminarayana Rao ) ने अपना सहयोग जारी रखा। आंध्र प्रदेश में युवा महामण्डल की सक्रीय इकाइयों के कम हो जाने पर  श्री रामकृष्ण सेवा समिति केंद्रों के द्वारा लगभग हर साल विभिन्न स्थानों पर आयोजित होने वाले " भक्त -भक्तिन सम्मेलन " के  साथ जुड़े युवाओं को जो आंध्र प्रदेश में रामकृष्ण विवेकानंद भवन प्रचार परिषद के प्रतिनिधियों के रूप में भाग लेते हैं ,उन्हें पुनः महामण्डल केंद्र स्थापित करने के लिए पूरी कोशिश करने में अनुप्रेरित करते रहते हैं। 

       यह भी सच है कि अपनी नौकरी और पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण श्री के.पी.सुब्बाराया शास्त्री एवं  श्री टी.लक्ष्मीनारायण राव युवा महामंडल के काम पर गंभीरता से अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर सके। हालाँकि, उन्होंने 1988 में स्थापित विशाखापत्तनम इकाई को अपना समर्थन और मार्गदर्शन देना जारी रखा है, और आगे भी युवा महामंडल आंदोलन के प्रचार-प्रसार की उम्मीद उन पर ही है। इस समय महामण्डल ध्वज (श्री रामकृष्ण पताका ) को अपने हाथों में उठाकर आंध्र प्रदेश में युवा महामण्डल आंदोलन को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी को पूर्ण करने में जी-जान से लगे हुए हैं। Sri N. Lakshminarayana of Visakhapatnam has shouldered the responsibility of keeping the flag of Yuva Mahamandal march on in Andhra Pradesh.

          इस प्रकार जब 1988 में विशाखापत्तनम इकाई स्थापित हुई, तब से आंध्र प्रदेश में युवा महामण्डल आंदोलन की यात्रा पचास साल तक जारी रही।  विशाखापत्तनम इकाई ने सभी युवा महामंडल पुस्तिकाओं का तेलुगु में  तेलुगु में अनुवाद किया ( Mahamandal booklets in Telugu by getting translated) और उसके बाद 2013 में सिल्वर जुबली के अवसर पर 3 दिवसीय 'दक्षिण भारत युवा प्रशिक्षण शिविर' का आयोजन हुआ।  जिसके फलस्वरूप विशाखापत्तनम इकाई की गतिविधियां अधिक सक्रिय हो गई। और जब से विशाखापत्तनम इकाई द्वारा 2018 में 3 दिवसीय अंतर-राज्य स्तरीय शिविर का आयोजन हुआ है , यहाँ के सभी सदस्य महामण्डल आंदोलन को पूरे आंध्र प्रदेश में फैला देने के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं। इन दोनों  शिविरों में श्री के.पी. सुब्बाराया शास्त्री और श्री टी.लक्ष्मीनारायण राव ने उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन दिया।

[(A Note on VYM in AP for 50 years Page 6 of 7 ) ]

     2018 में नेल्लोर यूनिट को पुनः सक्रिय करने तथा 2019 और 2020 में तीन और नई इकाइयों के गठन का श्रेय श्री एन.लक्ष्मीनारायण के कर्मठ नेतृत्व एवं विशाखापत्तनम महामण्डल केंद्र के सभी समर्पित सदस्यों की सक्रीय सहभागिता को जाता है। युवा महामण्डल की पुरानी निष्क्रिय इकाइयों को पुनर्जीवित करने और आंध्र प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में नई इकाइयों को शुरू करने  (to start new units in all district Headquarters in Andhra Pradesh.) सभी आशाएं विशाखापत्तनम इकाई के श्री एन.लक्ष्मीनारायण और उनकी टीम के समर्पित सदस्यों पर टिकी हुई हैं ताकि वे युवाओं को उसके लिए प्रेरित कर सकें। 

महामण्डल की नेल्लोर इकाई के द्वारा  तेलुगु त्रैमासिक बुलेटिन `विवेक भारती’ (Viveka Bharathi) का प्रकाशन विभिन्न कारणों से 1994 में बंद हो जानेके बाद, इसके पुनः प्रकाशन की जिम्मेदारी जनवरी 1995 से  विशाखापत्तनम इकाई ने ले ली है। तथा  अगस्त 2012 से इसे नियमित रूप से केवल प्रकाशित किया जा रहा है और आज तक जारी है, हालांकि कुछ अपरिहार्य कारणों से 2018 से सितंबर 2020 दो साल की अवधि तक इसके प्रकाशन में  लिए कुछ व्यवधान भी हुआ था ।
            आंध्र प्रदेश में महामण्डल आंदोलन के प्रचार-प्रसार में श्री एन. लक्ष्मीनारायण की सक्रीय भूमिका को देखते हुए , दिसंबर, 2018 में को ABVYM की अंतरराज्यीय निगरानी समिति का उपाध्यक्ष चुना गया और Dec, 2019 में युवा महामण्डल की अंतरराज्यीय निगरानी समिति (Interstate Monitoring Committee of ABVYM) का अध्यक्ष चुना गया है। महामण्डल की अंतरराज्यीय निगरानी समिति के अध्यक्ष के रूप में उनका यह चयन  स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम यूनिट को राष्ट्रीय महत्व (National importance) दिया जा रहा है।  अतः श्री एन. लक्ष्मीनारायण आंध्र और तेलंगाना  इन दोनों राज्यों में महामण्डल आंदोलन को आगे ले जाने के लिए, दोनों राज्यों के लिए राज्य समन्वयक के रूप में नामित होने वाला सही व्यक्ति हैं । इन दोनों राज्यों में महामण्डल आंदोलन को आगे बढ़ाने में आंध्र प्रदेश में कार्यरत रामकृष्ण विवेकानंद भावा प्रचार परिषद, राम कृष्ण मिशन के सभी केंद्रों, एवं श्री रामकृष्ण सेवा समिति के सभी केंद्रों से सभी प्रकार का सहयोग देने के लिए अनुरोध किया जाना चाहिए ??????
         दक्षिण भारत में महामण्डल आंदोलन में और अधिक दृढ़ता लाने के लिए, अखिल भारत विवेकानन्द युवा महामण्डल की केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के किसी सदस्य को आमंत्रित कर , उनके साथ श्री एन.लक्ष्मीनारायण, श्री टी.  लक्ष्मीनारायण राव और श्री के.पी. सुब्बाराय शास्त्री को शामिल करके आंध्र प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण स्थानों का दौरा करके वहाँ के युवाओं को अनुप्रेरित करने की  योजना बनाई जानी चाहिए। इन दिनों श्री टी.लक्ष्मीनारायण राव भी नेल्लोर इकाई का मार्गदर्शन करने के लिए नेल्लोर में ही  उपलब्ध हैं ,अतः मेरा यह सुझाव होगा कि जनवरी 2021 में नेल्लोर में एक दिवसीय राज्य स्तरीय युवा प्रशिक्षण शिविर (State level camp) या युवा सम्मेलन (Youth Convention) आयोजित करने का उपक्रम अवश्य करना चाहिए।
        क्योंकि यह एक दिवसीय शिविर आंध्र प्रदेश में युवा महामंडल आंदोलन के पचास वर्षों का उत्स्व मनाने में उपयोगी सिद्ध होगा। तथा इसके माध्यम से आंध्र प्रदेश के निष्क्रिय हो चुके महामण्डल इकाइयों को पुनरुज्जीवित करने में सहायता मिलेगी, तथा नई इकाइयों को गठित करने की प्रेरणा भी प्राप्त होगी। पवित्र मूर्तित्रयं से मेरी प्रार्थना है कि उनके  आशीर्वाद से जब तक विवेकानन्द युवा महामण्डल आंदोलन के उद्देश्य की प्राप्ति नहीं होती,  महामण्डल ध्वज इसी प्रकार निरंतर आगे बढ़ता रहे ! Let the Mahamandal flag march on till the goal is reached with the blessings of Murthitrayam.
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