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बुधवार, 30 जुलाई 2025

⚜️️🔱* सिव बिरंचि सुर मुनि समुदाई। चाहत जासु चरन सेवकाई॥⚜️️🔱 घटना -309⚜️️️️🔱 लंका की सभा में अंगद और रावण का संवाद⚜️️🔱 श्रीरामचरितमानस- षष्ठ सोपान, लंका काण्ड। ⚜️🔱श्री रामचरित मानस गायन || लंका काण्ड भाग #309⚜️🔱

 श्रीरामचरितमानस 

षष्ठ सोपान

[सुन्दर काण्ड /लंका  काण्ड]

(श्रीरामचरितमानस ग्रन्थ में लंका काण्ड किन्तु विविध भारती रेडिओ पर सुन्दर काण्ड।???) 
   
[ घटना - 309: दोहा -21,22]

[Shri Ramcharitmanas Gayan || Episode #309||]

>>लंका की सभा में अंगद और रावण का संवाद

            अंगद की बात सुन, रावण को क्रोध हो आता है। सामने खड़ा बन्दर बालिपुत्र है, ये जानकर रावण सकुचाया। किन्तु उसे कुलनाशक कहकर उसकी भर्त्स्ना करते हुआ बोला - तूँ तो अपने कुल रूपी बाँस के लिए अग्निरूप पैदा हुआ है। अपने को एक तपस्वी का दूत बताते हुए तुझे लज्जा नहीं आती ? तेरा पिता कहाँ है , और कैसा है वो ? अंगद उत्तर देते हैं - कुछ दिनों बाद तुम स्वयं उनके पास जाकर उनका कुशलक्षेम पूछ लेना। सच है मैं कुल-नाशक हूँ , और तुम कुल-रक्षक हो। ऐसी बात तो अंधे और बहरे भी नहीं करते, तुम तो दस शीश और बीस आँखों वाले हो। अंगद के वचन सुनकर, रावण का क्रोध उबल पड़ता है। किन्तु उसे अपने नीतिवान और धर्मपालक होने का भ्रम भी है, अतः अपने क्रोध पर काबू पाने का बड़प्पन दिखाता है। अंगद व्यंग करते हैं -तुम्हारी धर्मशीलता के बारे में मैंने सुना है। तुम्हारी धर्मशीलता का उदाहरण है कि तुमने परायी स्त्री का हरण कर लिया है। अपनी बहन का नाककान कटे देख, धर्म का विचार करके ही तो तुमने क्षमा कर दिया था। बड़े भाग हैं मेरे , जो मैंने तुम्हारा दर्शन पाया ..... 

चौपाई :
Chaupai:

* रे कपिपोत बोलु संभारी। मूढ़ न जानेहि मोहि सुरारी॥
कहु निज नाम जनक कर भाई। केहि नातें मानिऐ मिताई॥1॥

भावार्थ:- (रावण ने कहा-) अरे बंदर के बच्चे! सँभालकर बोल! मूर्ख! मुझ देवताओं के शत्रु को तूने जाना नहीं? अरे भाई! अपना और अपने बाप का नाम तो बता। किस नाते से मित्रता मानता है?॥1||

English: “Mind what you speak, you little monkey. Fool, are you not aware of my being an avowed enemy of the gods? Tell me, young fellow, your own name as well as your father’s. What is the common ground on which you claim fellowship between your father and myself?”

* अंगद नाम बालि कर बेटा। तासों कबहुँ भई ही भेंटा॥
अंगद बचन सुनत सकुचाना। रहा बालि बानर मैं जाना॥2॥

भावार्थ:-(अंगद ने कहा-) मेरा नाम अंगद है, मैं बालि का पुत्र हूँ। उनसे कभी तुम्हारी भेंट हुई थी? अंगद का वचन सुनते ही रावण कुछ सकुचा गया (और बोला-) हाँ, मैं जान गया (मुझे याद आ गया), बालि नाम का एक बंदर था॥2||

English: Angad is my name: I am Bali`s son. Did you ever meet him?” Ravan felt uncomfortable when he heard Angad`s reply. “Yes, I do remember that there was a monkey, Bali by name.

* अंगद तहीं बालि कर बालक। उपजेहु बंस अनल कुल घालक॥
गर्भ न गयहु ब्यर्थ तुम्ह जायहु। निज मुख तापस दूत कहायहु॥3॥

भावार्थ:- अरे अंगद! तू ही बालि का लड़का है? अरे कुलनाशक! तू तो अपने कुलरूपी बाँस के लिए अग्नि रूप ही पैदा हुआ! गर्भ में ही क्यों न नष्ट हो गया तू? व्यर्थ ही पैदा हुआ जो अपने ही मुँह से तपस्वियों का दूत कहलाया!॥3||

English: But, Angad, are you Bali`s son? You have been born as a fire in a cluster of bamboos for the destruction of your own race. Why should you have not perished even in the womb? In vain were you born, who have called yourself with your own mouth a hermit’s envoy.

* अब कहु कुसल बालि कहँ अहई। बिहँसि बचन तब अंगद कहई॥
दिन दस गएँ बालि पहिं जाई। बूझेहु कुसल सखा उर लाई॥4॥

भावार्थ:- अब बालि की कुशल तो बता, वह (आजकल) कहाँ है? तब अंगद ने हँसकर कहा- दस (कुछ) दिन बीतने पर (स्वयं ही) बालि के पास जाकर, अपने मित्र को हृदय से लगाकर, उसी से कुशल पूछ लेना॥4||

English: Now tell me if all is well with Bali and, if so, where is he?” Angad laughed at this and then replied. “Ten days hence you shall go to Bali and embracing your friend personally enquire after his welfare.

* राम बिरोध कुसल जसि होई। सो सब तोहि सुनाइहि सोई॥
सुनु सठ भेद होइ मन ताकें। श्री रघुबीर हृदय नहिं जाकें॥5॥

भावार्थ:-श्री रामजी से विरोध करने पर जैसी कुशल होती है, वह सब तुमको वे सुनावेंगे। हे मूर्ख! सुन, भेद उसी के मन में पड़ सकता है, (भेद नीति उसी पर अपना प्रभाव डाल सकती है) जिसके हृदय में श्री रघुवीर न हों॥5||

English: He will tell you all about the welfare that follows from hostility with Shri Ram. Listen, O fool: the seeds of dissension can be sown in the mind of him alone whose heart is closed to the Hero of Raghu’s line.”    


दोहा :
Doha:

* हम कुल घालक सत्य तुम्ह कुल पालक दससीस।
अंधउ बधिर न अस कहहिं नयन कान तव बीस॥21॥

भावार्थ:- सच है, मैं तो कुल का नाश करने वाला हूँ और हे रावण! तुम कुल के रक्षक हो। अंधे-बहरे भी ऐसी बात नहीं कहते, तुम्हारे तो बीस नेत्र और बीस कान हैं!॥21||

English: “I, forsooth, am the exterminator of my race; while you, Ravana are the preserver of yours. Even the blind and the deaf would not say so, whereas you possess a score of eyes and an equal number of ears.”
चौपाई :
Chaupai:

* सिव बिरंचि सुर मुनि समुदाई। चाहत जासु चरन सेवकाई॥
तासु दूत होइ हम कुल बोरा। अइसिहुँ मति उर बिहर न तोरा॥1॥

भावार्थ:- शिव, ब्रह्मा (आदि) देवता और मुनियों के समुदाय जिनके चरणों की सेवा (करना) चाहते हैं, उनका दूत होकर मैंने कुल को डुबा दिया? अरे ऐसी बुद्धि होने पर भी तुम्हारा हृदय फट नहीं जाता?॥1||

English: “What ! Did I bring dishonour on my family by acting as His ambassador whose feet even Shiv, Brahma and all the gods and sages desire to serve? It is strange that your heart does not burst asunder even on entertaining such an idea.”

* सुनि कठोर बानी कपि केरी। कहत दसानन नयन तरेरी॥
खल तव कठिन बचन सब सहऊँ। नीति धर्म मैं जानत अहऊँ॥2॥

भावार्थ:- वानर (अंगद) की कठोर वाणी सुनकर रावण आँखें तरेरकर (तिरछी करके) बोला- अरे दुष्ट! मैं तेरे सब कठोर वचन इसीलिए सह रहा हूँ कि मैं नीति और धर्म को जानता हूँ (उन्हीं की रक्षा कर रहा हूँ)॥2||

English: When he heard the monkey’s sharp rejoinder, Ravana glowered at him and said, “Wretch, I put up with your harsh words only because I know the bounds of decorum and righteousness.”

* कह कपि धर्मसीलता तोरी। हमहुँ सुनी कृत पर त्रिय चोरी॥
देखी नयन दूत रखवारी। बूड़ि न मरहु धर्म ब्रतधारी॥3॥

भावार्थ:- अंगद ने कहा- तुम्हारी धर्मशीलता मैंने भी सुनी है। (वह यह कि) तुमने पराई स्त्री की चोरी की है! और दूत की रक्षा की बात तो अपनी आँखों से देख ली। ऐसे धर्म के व्रत को धारण (पालन) करने वाले तुम डूबकर मर नहीं जाते!॥3||

English: Said the monkey, “I too have heard of your piety, which is evident from the fact that you stole away another’s wife. And I have witnessed with my own eyes the protection you vouchsafed to an envoy. An upholder of piety, why do you not drown yourself and thus end your life?

* कान नाक बिनु भगिनि निहारी। छमा कीन्हि तुम्ह धर्म बिचारी॥
धर्मसीलता तव जग जागी। पावा दरसु हमहुँ बड़भागी॥4॥

भावार्थ:-नाक-कान से रहित बहिन को देखकर तुमने धर्म विचारकर ही तो क्षमा कर दिया था! तुम्हारी धर्मशीलता जगजाहिर है। मैं भी बड़ा भाग्यवान्‌ हूँ, जो मैंने तुम्हारा दर्शन पाया?॥4||

English: When you saw your sister with her ears and nose cut off, it was from considerations of piety that you forgave the wrong. Your piety is famed throughout the world: I too am very fortunate in having been able to see you.” 

दोहा :
Doha:

* जनि जल्पसि जड़ जंतु कपि सठ बिलोकु मम बाहु।
लोकपाल बल बिपुल ससि ग्रसन हेतु सब राहु॥22 क॥

भावार्थ:- (रावण ने कहा-) अरे जड़ जन्तु वानर! व्यर्थ बक-बक न कर, अरे मूर्ख! मेरी भुजाएँ तो देख। ये सब लोकपालों के विशाल बल रूपी चंद्रमा को ग्रसने के लिए राहु हैं॥22 (क)||

English: “Prate no more, you stupid creature, but look at my arms, O foolish monkey, that are like so many Rahu`s to eclipse the tremendous moon-like might of the guardians of the spheres.

* पुनि नभ सर मम कर निकर कमलन्हि पर करि बास।
सोभत भयउ मराल इव संभु सहित कैलास॥22 ख॥

भावार्थ:- फिर (तूने सुना ही होगा कि) आकाश रूपी तालाब में मेरी भुजाओं रूपी कमलों पर बसकर शिवजी सहित कैलास हंस के समान शोभा को प्राप्त हुआ था!॥22 (ख)|| 

English: Again, (you might have heard that) while resting on my lotus-like palms in the lake of the heavens. Mount Kailash with Sambhu (Lord Shiva) shone like a swan.”

चौपाई :
Chaupai:

* तुम्हरे कटक माझ सुनु अंगद। मो सन भिरिहि कवन जोधा बद॥
तब प्रभु नारि बिरहँ बलहीना। अनुज तासु दुख दुखी मलीना॥1॥

भावार्थ:- अरे अंगद! सुन, तेरी सेना में बता, ऐसा कौन योद्धा है, जो मुझसे भिड़ सकेगा। तेरा मालिक तो स्त्री के वियोग में बलहीन हो रहा है और उसका छोटा भाई उसी के दुःख से दुःखी और उदास है॥1||

English: “Listen, Angad; tell me which warrior in your army will dare encounter me. Your master Ram has grown weak due to separation from his wife, while his younger brother (Lakshman) shares his grief and is consequently very sad.

* तुम्ह सुग्रीव कूलद्रुम दोऊ। अनुज हमार भीरु अति सोऊ॥
जामवंत मंत्री अति बूढ़ा। सो कि होइ अब समरारूढ़ा॥2॥

भावार्थ:- तुम और सुग्रीव, दोनों (नदी) तट के वृक्ष हो (रहा) मेरा छोटा भाई विभीषण, (सो) वह भी बड़ा डरपोक है। मंत्री जाम्बवान्‌ बहुत बूढ़ा है। वह अब लड़ाई में क्या चढ़ (उद्यत हो) सकता है?॥2||

English: You and Sugreev are like trees on a river bank (that can be washed away any moment); as for my younger brother (Vibhishan), he is a great coward. Your counsellor, Jambvan, is too advanced in age to take his stand on the field of battle;

* सिल्पि कर्म जानहिं नल नीला। है कपि एक महा बलसीला॥
आवा प्रथम नगरु जेहिं जारा। सुनत बचन कह बालिकुमारा॥3॥

भावार्थ:- नल-नील तो शिल्प-कर्म जानते हैं (वे लड़ना क्या जानें?)। हाँ, एक वानर जरूर महान्‌ बलवान्‌ है, जो पहले आया था और जिसने लंका जलाई थी। यह वचन सुनते ही बालि पुत्र अंगद ने कहा-॥3||

English: while Nala and Nila are mere architects (and no warriors). There is one monkey, no doubt, of extraordinary might—he who came before and set fire to the city.” On hearing this Bali's son (Angad) replied: “

* सत्य बचन कहु निसिचर नाहा। साँचेहुँ कीस कीन्ह पुर दाहा॥
रावण नगर अल्प कपि दहई। सुनि अस बचन सत्य को कहई॥4॥

भावार्थ:- हे राक्षसराज! सच्ची बात कहो! क्या उस वानर ने सचमुच तुम्हारा नगर जला दिया? रावण (जैसे जगद्विजयी योद्धा) का नगर एक छोटे से वानर ने जला दिया। ऐसे वचन सुनकर उन्हें सत्य कौन कहेगा?॥4||

English: Tell me the truth, O demon king: is it a fact that a monkey burnt down your capital? A puny monkey set on fire Ravana`s capital ! Who, on hearing such a report, would declare it as true?

* जो अति सुभट सराहेहु रावन। सो सुग्रीव केर लघु धावन॥
चलइ बहुत सो बीर न होई। पठवा खबरि लेन हम सोई॥5॥

भावार्थ:- हे रावण! जिसको तुमने बहुत बड़ा योद्धा कहकर सराहा है, वह तो सुग्रीव का एक छोटा सा दौड़कर चलने वाला हरकारा है। वह बहुत चलता है, वीर नहीं है। उसको तो हमने (केवल) खबर लेने के लिए भेजा था॥5||

English: Ravana, he whom you have extolled as a distinguished warrior is only one of Sugriva`s petty runners. He who walks long distances is no champion; we sent him only to get news.”

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