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मंगलवार, 4 फ़रवरी 2025

सरस्वती पूजा की कविता

सरस्वती पूजा की कविता 

पितुरप्यधिका माता गर्भधारणपोषणात् ।

अतो हि त्रिषुलोकेषु नास्ति मातृसमो गुरुः ।।

-गर्भ को धारण करने और पालन पोषण करने के कारण माता का स्थान पिता से भी बढ कर है! अत: तीनों लोकों में माता के समान कोई गुरु नहीं अर्थात् (भारत) माता परम् गुरु है!

 

सरस्वती पूजा की कविता 

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विद्या सुन्दर 

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ॐ 

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