सरस्वती पूजा की कविता
पितुरप्यधिका माता गर्भधारणपोषणात् ।
अतो हि त्रिषुलोकेषु नास्ति मातृसमो गुरुः ।।
-गर्भ को धारण करने और पालन पोषण करने के कारण माता का स्थान पिता से भी बढ कर है! अत: तीनों लोकों में माता के समान कोई गुरु नहीं अर्थात् (भारत) माता परम् गुरु है!
सरस्वती पूजा की कविता
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विद्या सुन्दर
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ॐ
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